Vaidyanath Triphala churn ke fayde | वैद्यनाथ त्रिफला चूर्ण के फायदे
भारतीय आयुर्वेद का इतिहास प्राचीन हजारों सालों से चला आ रहा है जिसमें अनेकों रोगों और बीमारियों का प्राकृतिक उपचार बताया गया है। महर्षि बागपत के अनुसार वात, पित्त और कफ ऐसी समस्याएं है जिनका उपचार आंवला, हरड़े और बहेड़ा के द्वारा किया जा सकता है और उन्होंने बताया कि यह तीनों सामग्री त्रिफला चूर्ण के अंदर होती है।
इस प्रकार त्रिफला का निर्माण 3 औषधियों आंवला, हरड़े और बहेड़ा को मिलाकर किया जाता है। यह दवा कब्ज को ठीक करने में काफी असरदार है यह हमारे पाचन तंत्र को दुरुस्त करती है साथ ही मेटाबॉलिजम में बढ़ाती है और पेट में होने वाली गैस को ठीक करती है। साथ ही साथ जब हम कभी ज्यादा खाना खा लेते हैं तब डकारे आने लगती है तो यह डकारौ को ठीक करती है और यह बाबासीर जैसी गंभीर बीमारी में भी राहत देती है।
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औषधियों का वर्णन
त्रिफला चूर्ण में मुख्य रूप से केवल 3 और स्याही शामिल की गई है। इन वस्तुओं से होने वाले फायदे निम्न है
आंवला से होने वाले फायदे
- आंवला में अधिकतम मात्रा में फाइबर मौजूद होता है जो पेट को भरा रखने व वजन घटाने में सहायक होता है।
- इसमें उपस्थित फाइबर पाचन तंत्र को साफ रखने व कब्ज की समस्या को दूर करने का काम करता है।
- आंवला में विटामिन सी होता है जो कि त्वचा को निखारने का काम करता है।
- आंवला शरीर में मेटाबॉलिज्म को बढ़ाने का काम भी करता है।
- आंवला वात, पित्त, कफ को कम करने में सहायक होता है।
हरीतकी/हरेडे से होने वाले फायदे
- हरीतकी मैं मौजूद लैक्सेटिव तत्व मल त्यागने में गति करते हैं और आसानी से मल का निष्कासन होता है।
- इस तरह कब्ज की समस्या दूर होती है।
- हरीतकी भी वात, पित्त, कफ को नियंत्रण करने में सहायक होता है।
बहेड़ा से होने वाले फायदे
- बहेड़ा में एस्ट्रिजेंट, एंटी-मिर्कोवेल, लैक्सटिव नामक तत्व उपस्थित रहते हैं जो कब्ज में राहत पहुंचाते हैं।
- साथ ही यह पाइल्स में भी काफी रात हो जाते हैं।
- बहेड़ा भी वात, पित्त, कफ को नियंत्रण करने में सहायक होता है।
आयुर्वेद के अनुसार प्राकृतिक त्रिफला चूर्ण कैसे बनाते हैं?
महर्षि वाग्भट के अनुसार बराबर मात्रा वस्तुएं मिलाकर बनाया गया त्रिफला कारगर नहीं होता है। बल्कि 1:2:3 के अनुपात के अनुसार बनाया गया त्रिफला चूर्ण ही सर्वाधिक उपयोगी होता है। जिसमें 100 ग्राम हरडे 200 ग्राम बहेड़ा व 300 ग्राम आंवला को मिलाकर बनाया गया त्रिफला चूर्ण सही मात्रा में उपयोगी होता है । यह सभी उत्पाद सूखे होने चाहिए।
त्रिफला चूर्ण का सेवन कब करें
त्रिफला चूर्ण का सेवन रात्रि में भोजन के पश्चात पानी और दूध के साथ किया जा सकता है और सुबह उठने के पश्चात खाली पेट त्रिफला चूर्ण लेने से अनेक फायदे मिलते हैं। अगर त्रिफला चूर्ण को सुबह गुड़ या शहद के साथ लिया जाता है तो यह वजन कम करने में बहुत सहायक होता है। रात्रि और सुबह लिए गए त्रिफला चूर्ण के अलग-अलग फायदे होते हैं। रात्रि को लिया गया त्रिफला चूर्ण रेचक का कार्य करता है अर्थात यह पेट को साफ करने का कार्य करता है। रात्रि को गर्म पानी या दूध के साथ लिया गया त्रिफला चूर्ण कब्ज की समस्या को पूर्ण रूप से समाप्त कर देता है। जबकि सुबह गुड़ या शहद के साथ लिया गया त्रिफला चूर्ण पोषक का कार्य करता है अर्थात अर्थात शरीर को सभी आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है।
त्रिफला चूर्ण का कितना उपयोग करें
- एक स्वस्थ व्यक्ति को केवल सुबह ही त्रिफला चूर्ण लेने से अनेक फायदे मिलते हैं।
- बीमारी से पीड़ित व्यक्तियों को रात्रि के समय लिया गया त्रिफला चूर्ण सर्वाधिक फायदा करता है जिसमें बाबासीर, पाइल्स जैसी घातक बीमारियों की समस्याएं हल होती है।
- एक चम्मच त्रिफला को 250 ग्राम पानी में मिलाकर उसका काढ़ा सुबह पीने से बहुत फायदा मिलता है।
- सुबह और शाम 10 से 15 ग्राम त्रिफला चूर्ण को अनेकों प्रकार से सेवन किया जा सकता है।
- त्रिफला चूर्ण को गरम पानी दूध गुड और शहद के साथ लेना सर्वाधिक फायदेमंद होता है।
FAQ Section
त्रिफला चूर्ण के उपयोग तथा इससे होने वाले फायदे के बारे में कुछ प्रश्न निम्नलिखित है-
रात्रि में त्रिफला चूर्ण लेने के क्या फायदे हैं ?
रात्रि को खाना खाने के आधा घंटा बाद त्रिफला चूर्ण लेने से यह हमारे बड़ी आत को साफ करता है। साथ ही यह पाचन तंत्र के सभी अंगों को साफ रखने का काम करता है। और कितना भी पुराना कब्ज या पेट की समस्या हो उसको यह जड़ से खत्म कर देता है
सुबह त्रिफला चूर्ण लेने के फायदे
यदि सुबह उठने के पश्चात त्रिफला चूर्ण का सेवन किया जाता है तो इस में उपस्थित सभी सूक्ष्म पोषक तत्व जैसे विटामिन ए, विटामिन सी, विटामिन डी, विटामिन के, आयरन, कैल्शियम उन सभी तत्वों का फायदा मिलता है।
त्वचा संबंधित रोगों में त्रिफला चूर्ण के फायदे
त्वचा से संबंधित सभी प्रकार के रोगों(जैसे चर्म रोग, फुंसियां) को दूर करने में सहायक होता है। वास्तव में त्वचा संबंधित सभी रोगों का एक कारण पेड़ से जुड़ा होता है। जब भी हमारा पेट अस्वस्थ रहता है तब त्वचा संबंधी रोग जल्दी उत्पन्न होते हैं। इसमें पेट में गर्मी बढ़ना, पाचन तंत्र खराब होना, कब्ज जैसी समस्याओं को त्रिफला चूर्ण का सेवन करके दूर किया जा सकता है।
गुप्त रोगों में फायदा
किसी भी प्रकार के गुप्त रोग को त्रिफला चूर्ण जड़ से मिटाने का कार्य करता है। जैसे यदि यूरिन का बार बार आना, खुलकर नहीं आना ऐसी समस्याओं में त्रिफला चूर्ण का सेवन करने से राहत मिल जाती है।
त्रिफला चूर्ण से किन्हे दूर रहना चाहिए ?
गर्भवती महिलाओं को त्रिफला चूर्ण से परहेज करनी चाहिए। साथ ही इसका उपयोग करने से पूर्व चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए।
बाजार में सबसे अच्छा त्रिफला चूर्ण कौन सा है?
Ans: बाजार मैं सबसे अच्छा त्रिफला चूर्ण बैद्यनाथ त्रिफला चूर्ण मिलता है। साथ ही कुछ कंपनियों जैसे डाबर और पतंजलि के त्रिफला चूर्ण भी अच्छे मिलते हैं।
निष्कर्ष
“त्रिफला एक खूबीया अनेक” की बात एकदम सत्य प्रतीत होती है जिसमें केवल एक त्रिफला चूर्ण के द्वारा अनेकों बीमारियों का समाधान है। त्रिफला बनाने में आंवला हृदय और बहेड़ा का उपयोग किया जाता है जोकि गंभीर बीमारियों वात, पित्त और कफ के इलाज में उपयोग की जाती है जब इन तीनों और औषधियों का संगम हो जाता है तो यह औषधि त्रिफला कहलाती है। इस प्रकार त्रिफला के उपयोग से अनेकों बीमारियों का हल हो जाता है।