ओणम का पौराणिक महत्व, कहानी और संपूर्ण जानकारी
भारत एक धार्मिक देश है। जहां सभी धर्मों के लोग आपस में मिलजुल कर रहते हैं। और अलग-अलग संस्कृतियों के लोग अलग-अलग त्योहारों को भी मनाते हैं। ओणम का त्योहार केरल राज्य में मनाए जाने वाला बहुत महत्वपूर्ण त्यौहार है। यह मलयालमी पंचांग का पहले महीने में पड़ने वाला त्यौहार है। ओणम का त्योहार श्रावण महीने की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाता है। ओणम का त्योहार अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार अगस्त सितंबर माह में आता है। यह खेतों में फसल के पकने पर मनाया जाने वाला त्यौहार है। ओणम के त्योहार की सारी जानकारी हम आपको बताने वाले हैं।
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क्यों खास है उनका त्यौहार
ओणम का त्योहार केरल राज्य में बहुत प्रसिद्ध त्योहार है। इस त्यौहार को केरल के साथ-साथ इसके पड़ोसी राज्यों में भी मनाया जाता है। वर्षा ऋतु में चारों तरफ हरियाली होती है तब श्रावण के देवता और फूलों की देवी की आराधना करने के लिए यह उत्सव मनाया जाता है। इस त्यौहार में घरों में मिट्टी की मूर्ति बनाई जाती है और गुरु को फूलों से सजाया जाता है। ओणम का त्योहार 10 दिनों तक चलने वाला त्यौहार है। इसमें लोग आपस में मिलकर खुशियां मनाते हैं।
फसलों के पकने पर ओणम का त्योहार
ओणम को फसलों का त्योहार भी कहा जाता है।ओणम के त्योहार के दिनों में केरल राज्य में चाय, अदरक, इलायची, काली-मिर्च, धान जैसी सभी फसलें पक कर तैयार हो जाती है। लोग फसल की अच्छी उपज की खुशी में ओणम का त्योहार मनाते हैं और उनकी सुरक्षा की कामना करते हैं।
ओणम त्योहार के 10 दिनों के नाम
लोक मान्यताओं के अनुसार ओणम 10 दिनों तक मनाया जाता है।
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अथम, अथम पहला दिन होता है जिस दिन महाराज बलि पाताल लोक से धरती (केरल राज्य) पर जाने के लिए निकलते हैं। इस दिन को सभी लोग बहुत शुभ मानते हैं।
चिरिथा, चिरुथा दूसरा दिन होता है इस दिन महाराज बलि के लिए फूलों का कालीन (उपक्रम)बनाया जाता है।
चौढ़ी, यह तीसरा दिन होता है जिस दिन फूलों से आगे आगे घर को सजाया जाता है। इस दिन लोग अपने घरों कार्यालयों को सुसज्जित एवं नवीन करते हैं।
विशाकम, इस दिन से तरह-तरह की प्रतियोगिताएं शुरू हो जाती है। लोग इन दिनों में गाना खाते हैं और आनंदित रहते हैं
अनीज़म, इस दिन नौका दौड़ का आयोजन किया जाता है। इसमें सर्प नुमा लंबी नौकाएं जिन्हें ‘चूंदन वल्लम’ कहा जाता है भाग लेती है। इसे देखने के लिए बड़ी संख्या में स्थानीय लोग और पर्यटक आते हैं।
र्थीकेता, इस दिन से छुट्टियां कि तैयारी होने लगती है। दूरदराज के क्षेत्रों में काम करने वाले लोग अपने घर परिवार में वापस आने का समय हो जाता है। लोग अपने काम से छुट्टियां लेकर जल्दी आपने घर जाते हैं।
मूलम, इस दिन महाराज बलि के आगमन पर उनकी पूजा आराधना के लिए जरूरत की वस्तुएं और सामान इकट्ठा करते हैं
पूरदम, इस दिन महाराज बलि एवं वामण की प्रतिमा घर में स्थापित की जाती है।
उथरादम, यह दिन महाराज बलि के पाताल लोक से केरल राज्य में पधारने का दिन होता है जिसे हर्षोल्लास से मनाया जाता है।
थिरूवोनम, इस दिन सबसे खास पूकलम तैयार किया जाता है और सभी को ओणम की शुभकामनाएं दी जाती है। इस दिन अनेकों सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है जिसमें नृत्य, खेल, शो और एक साथ मिलना प्रमुख आकर्षण रहते हैं।
ग्यारहवे और बाहरवें दिन को अवितम और चंपारण कहा जाता है। किंतु प्रमुख ओणम के दिन थिरुवोनम पर समाप्त हो जाते है।
ओणम पर होने वाले प्रमुख उत्सव
अठाचमयम
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यह एक भव्य जुलूस होता है जो ओणम की शुरुआत का प्रतीक है। यह जुलूस शाही परंपरा को दर्शाता है जिसमें कोच्चि राज्य के महाराज अपने त्रिपुनिथुरा किले की यात्रा करते थे। इस जुलूस में कलाकार अपनी प्रस्तुतियां देते हैं और सज धज के साथ शाही सवारी निकाली जाती है।
नौका दौड़
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यह सभी आयोजन में सबसे आकर्षक और लोकप्रिय स्नेक बोट रेस होती है। इस आयोजन में सैकड़ों नाविक अपनी बड़ी और लंबी सजी-धजी नावे लेकर आते हैं। इस दौड़ का आयोजन ढोल के गीत और संगीत के बीच बहुत ही आकर्षक दिखता है।
पुलिकली/ कडुवकली
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ओणम का यह एक प्रसिद्ध रिवाज है। इसमें कलाकार लोग बाघ का वेश धारण करते है। पुलीकली में बाघ द्वारा बकरियों का शिकार और मनुष्य द्वारा बाघों के शिकार का प्रदर्शन किया जाता है। पुलीकली के प्रदर्शन में केरल राज्य के त्रिशूर और पालघाट जिला सबसे प्रसिद्ध है।
कुम्मट्टिकली
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यह एक प्रसिद्ध लोक नृत्य है। इसमें कलाकार बड़े-बड़े मुखोटे और वेशभूषा पहनकर लोगों का मनोरंजन करते हैं। इसमें पौराणिक कथाओं का भी प्रदर्शन किया जाता है।
अथापोवु
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यह ओणम के त्यौहर पर आयोजित प्रतियोगिता होती है। इसमें भाग लेने वाले प्रतियोगी को पूकलम सजाने की प्रतियोगिता होती है। इसमें बड़ी संख्या में डिजाइनर और दर्शक शामिल होते हैं। प्रत्येक वर्ष इस आयोजन से नवीन डिजाइनर और डिजाइने निकल कर आती है।
ओणम त्योहार की पौराणिक कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार महाराज बली, भक्त पहलाद के वंशज और केरल राज्य के राजा थे। महाराज बलि के शासनकाल में राज्य में बहुत सुख समृद्धि थी। राजा बली महादानी एवं शूरवीर राजा थे। महाराज ने अपने शासनकाल में अश्वमेघ यज्ञ करवाया जिसमें भगवान विष्णु स्वयं वामन अर्थात बोना भिक्षुक ब्राह्मण के रूप में आए। वामन ने महाराज बलि से यज्ञशाला बनाने के लिए तीन कदम भूमि दान में मांगी। जिस पर महाराज बलि ने उन्हें तीन कदम भूमि देने का वचन दिया। जिसमें बामन ने बड़ा रूप धारण कर पहले ही कदम में संपूर्ण पृथ्वी को माप लिया दूसरे कदम में वामन ने संपूर्ण ब्रह्मांड को माप लिया। और जब तीसरे कदम के लिए बमन ने महाराज बलि से पूछा तो महाराज बलि ने कहा आप तीसरा कदम मेरी पीठ पर रख दे। तीसरे का दम सही महाराज बलि पाताल अर्थात भूमि के अंदर चले गए। तब भगवान वामन प्रसन्न हुए और उन्होंने महाराज बलि को वरदान दिया कि वह उन्हें पाताल लोक के राजा बनाएंगे। इसके पश्चात महाराज बिल्ली की प्रजा काफी निराश हो गई थी तब भगवान वामन ने प्रजा का महाराज बलि के प्रति प्रेम भाव देखकर उन्हें वरदान दिया कि वह वर्ष में एक बार उनकी प्रजा से मिलने आ सकते हैं। इस तरह प्रतिवर्ष महाराज बलीके केरल राज्य में आने पर ओणम उत्सव का आयोजन किया जाता है।
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ओणम से जुड़े शब्द
थुम्बी थुलाई क्या है?
ओणम के पर्व पर लोगों द्वारा पारंपरिक लोकगीतों पर नृत्य करना थुम्बी थुलाई कहलाता है।
पूकलम क्या होता है?
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ओणम के पर्व पर महिलाओं द्वारा घरों में फूलों की रंगीन रंगोलियों को पूकलम कहा जाता है।
कुमटी काली क्या है?
कुमटी काली, ओणम के पर्व पर किया जाने वाला पारंपरिक नृत्य है जिसमें लोगों द्वारा विशेष बड़े मुखोटे वाले चेहरे और विशेष वेशभूषा पहने नृत्य करते हैं।
पुलीकाली क्या है?
पुलीकली, ओणम पर्व पर बाघ नृत्य होता है। जिसमें कलाकार अपने शरीर को बाघनुमा बनाते हैं और अपनी कला प्रदर्शन करते हैं।
अरानमुला वल्लम काली क्या है?
अरानमुला वल्लम काली, प्राचीन काल से चली आ रही नौका दौड़ होती है। जिसमें लंबी-लंबी सर्प अनुमान नांव की दौड़ होती है
थिरूओन-शदय क्या होता है?
ओणम पर्व की सबसे महत्वपूर्ण गतिविधि थिरूओन- शदय होती है। यह एक विशिष्ट समारोह है जो ओणम के आखिरी दिन थिरूवोणम के दिन होता है। थिरूओन- शदय एक सामूहिक भोजन का आयोजन होता है जिसमें लोग केले के पत्तों में 13 से अधिक शाकाहारी खाद्य पदार्थ और उसे जाते हैं।