कलर थेरेपी क्या है। मोदी जी काले कपड़े क्यों नहीं पहनते
नमस्कार दोस्तों। आज हम आपको कलर थेरेपी के बारे में बताने वाले हैं। आपने यह बात जरूर नोटिस की होगी के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कभी भी काले रंग के कपड़ों में नजर नहीं आए। लेकिन आखिर क्यों? इसी तरह बॉलीवुड की जानी-मानी एक्टर एकता कपूर हमें ज्यादातर काले रंग के कपड़े पहने हुए दिखाई देती है। लेकिन आखिर क्यों? इसी तरह रेस्टोरेंट्स में और खाने पीने से जुड़ी चीजों में भी काले और पीले रंग की बनाएं जाते है। इसके पीछे एक रोचक विज्ञान है। जिसे आपको जानने की जरूरत है।
Contents
रेस्टोरेंट में कलर थेरेपी
अगर हम किसी रेस्टोरेंट में देखें तो वहां अंदर पीले और काले रंग का इंटीरियर डिजाइन देख सकते हैं। पीला और काला रंग लोगों को काफी आकर्षित करता है और यह भूख को बढ़ाने मैं भी काफी मददगार होता है।
इसी तरह ऑनलाइन खाना डिलीवरी वाली कंपनियां जैसे जोमैटो और स्विग्गी भी अपने एप की डिजाइन में सफेद, लाल, ऑरेंज और काले रंग को ध्यान में रखकर ऐप की बनावट में देखा जा सकता है।
मैगी के पैकेट का रंग को भी पीला, लाल बनाया जाता है जिससे वह लोगों को देखने में काफी आकर्षित और रोचक लगे। इस प्रकार के रंग होने का मुख्य कारण लोगों के दिमाग को ट्रिगर करना होता है जिससे उनको भूख नहीं लगने पर भी भूख लगने और उसे खाने की इच्छा होती है। अगर उनको भूख लग रही है तो इस प्रकार कलर थेरेपी से उनकी भूख और ज्यादा बढ़ती है और उन्हें जल्दी ही कुछ खाने का मन होता है। इस प्रकार कलर थेरेपी एक मार्केटिंग स्ट्रेटजी है। इस प्रकार इंसानों की साइकोलॉजी का प्रयोग करके 3 तरह के कलर का उपयोग किया जाता है। जिससे इस तरह के व्यवसाय को बहुत फायदा होता है।
नरेंद्र मोदी के कपड़े
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कभी भी काले रंग के कपड़े नहीं पहनते हैं। किसी विशेष रंग का व्यक्ति विशेष पर काफी अलग प्रभाव होता है। कुछ लोगों का मानना होता है कि काला रंग उन पर नकारात्मक प्रभाव डालता है और यह विरोध करने का रंग होता है इसमें सकारात्मक ऊर्जा की कमी लगती है। इनसे बचने के लिए और सकारात्मक ऊर्जा से सकारात्मक कार्य करने के लिए वह दूसरे रंग के कपड़े पहनते हैं।
कलर थेरेपी का इतिहास
आज से तकरीबन 4000 वर्ष पहले रंगो के इलाज या कहें कलर थेरेपी के बारे में हमारे ऋषि-मुनियों ने जांच पड़ताल कर ली थी। दुनिया का पहला रंग गुलाबी है जिससे स्ट्रेस माइग्रेन डिप्रेशन और ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियां दूर की जाती थी। इसी तरह मानव शरीर में सात चक्र होते हैं जिनके अपने अलग-अलग रंग होते हैं। इसी तरह वर्तमान में भी कलर थेरेपी का उपयोग एक चमत्कारी चिकित्सा पद्धति के रूप में देखा जा सकता है।
कलर थेरेपी के वैज्ञानिक तथ्य
अगर अपने आसपास के वातावरण में सही रंगों का उपयोग करें तो हम जीवन में बहुत सकारात्मक कार्य कर सकते हैं। और अपनी नकारात्मक ऊर्जा को दूर भेज सकते हैं। इन रंगों का हमारे जीवन में बहुत महत्व है।
- नारंगी रंग। : किडनी, हर्नियां, पथरी जैसी बीमारी में काम लिया जाता है।
- नीला रंग : सांस से जुड़ी बीमारी, अस्थमा, हाई ब्लड प्रेशर के उपचार में काम लिया जाता है।
- हरा रंग : योन संबंधी रोग और अल्सर जैसी बीमारी का उपचार करते हैं।
- पीला रंग: डायबिटीज, अपच, कब्ज आंखों का रोग के उपचार में काम लेते हैं।
- लाल रंग : एनीमिया, लो ब्लड प्रेशर, पैरालिसिस के उपचार में काम लिया जाता है।
- बैंगनी रंग : इस रंग का उपयोग डिप्रेशन माइग्रेन और त्वचा संबंधी रोग के उपचार में काम लिया जाता है।
इसी तरह रंगों का उपयोग हमारे जीवन में अच्छी चीजें भी लाता है जैसे
- लाल रंग के उपयोग से हमारी परफॉर्मेंस में सुधार आता है।
- नारंगी रंग भावना दिखाने में मदद करता है।
- पीला रंग याददाश्त बढ़ाने में कारगर है।
- नीला रंग क्रिएटिव सोचने में मदद करता है।
- गुलाबी रंग पति पत्नी के अच्छे रिश्ते का प्रतीक होता है।
- पीला रंग संतुलित आहार खाने को दिखाया जाता है।
कलर थेरेपी से इलाज कैसे होता है
माना जाता है कि रंग हमारे शरीर में कई चीजों को नियंत्रित करने के काम आता है। ऐसे में कलर के साथ उनकी रोशनी का भी हमारे ऊपर काफी गहरा प्रभाव पड़ता है। इस तरह कलर थेरेपी में दो तरीके अपनाए जाते हैं।
- पहला तरीका(कलर हिलिंग) : इस तरीके में इंसान को एक विशेष रंग दिया जाता है। उसको यह उम्मीद दी जाती है कि यह रंग उसकी नकारात्मकता को दूर कर रहा है और उसे सेहतमंद व सकारात्मक बना रहा है। इस तरह यदि हम कलर हिलिंग का उपयोग करके अपने आसपास जैसे घर का रंग, पर्दे और रोज काम में आने वाली चीजें के रंग का सही चयन करें तो यह हमारे जीवन पर काफी प्रभाव डालता है।
- दूसरा तरीका : इसमें किसी विशेष रंग को शरीर के उस हिस्से में टच (स्पर्श) कराया जाता है जिसमें समस्या उत्पन्न हो। इसमें हम कपड़े, खाने पीने की चीजें एक विशेष रंग की अपना सकते हैं।
इस तरह आपने देखा होगा कि वीरेंद्र सहवाग क्रिकेट खेलते समय अपने पास लाल रंग का रुमाल रखते थे। इस तरह हर आदमी की रंगों से अलग-अलग जुड़ाव होता है। किसी तरह घर में पालने के लिए पालतू जानवर मैं भी कलर थेरेपी या कलर हीलिंग बहुत कारगर साबित होती है जैसे पीला तोता सफेद कुत्ता ऐसे पालतू जानवर को पाला जा सकता है जिससे हमें शांत और खुशनुमा वातावरण का अनुभव होता है।
अंत में
कई बार हमें एस्ट्रोलॉजी द्वारा बताया जाता है कि हमें किसी विशेष रंग के हीरे को रत्न जड़ित आभूषण बनाकर पहनना चाहिए यह सभी कलर थेरेपी का हिस्सा बताया जाता है। कलर थेरेपी को हम रेगिस्तान में केवल रेत कार उबाऊ और हरा भरा बगीचा मन को बहुत पसंद आना के रूप में देख सकते हैं। इस तरह हमें अपने घर में भी साधारण, सकारात्मक और शांत कलर रखना चाहिए। जिससे हमारा दिमाग शांत रहेगा, तनाव कम रहेगा।